मशरूम की खेती किसानों के लिए अब फायदे का सौदा बन रही है। इसके प्रति किसानों का रुझान लगातार बढ़ता जा रहा है। करीब पांच साल से किसानों में मशरूम की खेती तेजी से लोकप्रिय हुई है। बिहार में यद्यपि ओयस्टर (ढिंगरी) मशरूम सालोभर उगाया जा सकता है, परन्तु ओयस्टर मशरूम की लाभकारी खेती सितम्बर से मार्च तक किया जा सकता है। ओयस्टर की प्रजातियों में भूरा ढिगरी (प्लूरोटस सेजोर काजू), स्वेत ढिगरी (प्लूरोटस फ्लोरिडा) एवं गुलाबी ढ़िगरी (प्लूरोटस जामोर) प्रमुख है जो बिहार के लिये काफी उपयुक्त है।
मशरूम की खेती कैसे करें
भूसा या पुआल गर्म जल द्वारा उपचारित करना
धान के पुआल की कुट्टी या धान का भूसा लेकर साफ पानी से घोकर 4-6 घंटा फुलाये एवं गर्म जल मे आधा घंटा खौलाये (जीवाणु रहित करने के लिये) जीवाणु रहित भाप द्वारा या दवा द्वारा भी किया जा सकता है 10 ग्रा0 वेविस्टिन, 100 मि0ली0 फार्मेलिन एवं 100 लीटर पानी एक ड्रम में मिलाकर उसमें 10 किलोग्राम भूसा या पुवाल की कुट्टी रात भर फुलाये।
भूसा या पुआल फैलाना
गर्म जल या भाप से शोधित कर जल निथार कर स्वच्छ फर्श पर फैलाये एवं ठढ़ा होने पर नमी की जांच करे।
नमी की जांच करना
उचित नमी की जांच के लिये उपचारित कुट्टी या भूसा को एक हाथ में लेकर कस कर मुट्टी से दवाये। यदि अंगुलियों के बीच से पानी की बूंद न टपके परन्तु पानी हाथ में हल्का लग जाय तो नमी उपयुक्त समझेयदि पानी अंगुलियों के बीच से टपके तो नमी अधिक समझे और इसे कुछ समय तक और फैलाकर नमी की उचित मात्रा बनाये। यदि हथेली में पानी न लगे तथा भूसा या पुआल कड़ा लगे तो नमी की कमी समझे तथा शुद्ध जल का छिड़काव करके उचित नमी बनायें।
बीज की बुवाई करना
उपचारित भूसा या पआल को नमी जाँचने के पश्चात एकत्रित करके 150 ग्राम मशरूम बीज प्रति किलोग्राम शुष्क पुआल की दर से मिलाकर नाइलान की जाली मे भरकर ऊपर से पालीथीन थैली ओढ़ाये या 18 x 22 से. मी. की पालीथीन थैली में अच्छी तरह भरकर मुह बांध कर चारो तरफ 20-25 छिद्र (0.5 मि.मी.) बनाकर उत्पादन गृह (झोपड़ी में) में रखें।
फसल निकलना
15 से 20 दिन में कवक जाल पूरे पुवाल या भूसे को ढंक लेगा तो पन्नी हटा दे तथा झोपड़ी में अन्दर की तरफ चारो ओर जूट का मोटा बोरा लगाये तथा उसीपर बराबर जल छिड़ककर अन्दर नमी बनाये। पन्नी हटाने के 3 से 5 दिन में मशरूम निकालना प्रारम्भ करता है तथा अगले 3 से 5 दिन में तोड़ने योग्य मशरूम तैयार हो जाता है।
फसल तोड़ना
अब इसे तीन अंगुलियों से पकड़ कर घुमाये तो मशरूम टुट कर हाथ में आ जायेगा। इसे अच्छी तरह साफ करके आवश्यकतानुसार प्रयोग करेअथवा छिद्रयुक्त पालीथीन थैले में डालकर (200 ग्राम) बाजार में बेचे यदि बेचने में असुविधा है तो इसे सूर्य के प्रकाश में अच्छी तरह सुखाकर पालीथीन बैग में हवा रहित दशा में भण्डारण करें।
उत्पादन खर्च – रू0 35/किलोग्राम
बिक्रीदर – रू0 100/किलोग्राम
शुद्धलाभ – रू0 65/किलोग्राम
बटन मशरूम उत्पादन
बिहार में बटन मशरूम का उत्पादन सितम्बर के अन्तिम सप्ताह से (खाद बनाना) फरवरी/ मार्च तक किया जा सकता है। बिहार में बटन मशरूम की दो प्रजातियों अगैरिकस वाईस्पोरस तथा अगैरिकस वाई टारकिस सफलता पूर्वक उगाया जा सकता है। कम खर्च में लम्बी अवधि की खाद 28 दिन में तैयार किया जा सकता है। अतः लम्बी अवधि की खाद बनाने की विधिका विवरण दिया जा रहा है।
मशरूम की खेती के लिए खाद/कम्पोस्ट तैयार करना
आवश्यक सामग्री
पुवाल की कुट्टी या गेहूँ का भूसा – 10 क्विंटल, मुर्गी की खाद 2 क्विंटल, गेहूँ का चोकर 2 क्विंटल, जिप्सम 40 किलोग्राम, यूरिया 20 किलोग्राम, सिंगल सुपर फास्फेट 20 किलोग्रा ऑफ पोटाश 10 किलोग्राम ।
खाद तैयार करना
गेहूँ का भूसा या पुवाल की कृट्टी को पक्के फर्श पर फैलाकर पानी से भिंगोकर 48 घंटे तक रखे। तत्पश्चात इस गीले भूसे या पुवाल पर उर्वरको की अनुशंसित मात्रा विखेर कर मिलाये (जिप्सम को छोड़कर) तथा 2.0 मी0 चौड़ा, 1 मीटर ऊँचा एवं लम्बाई आवश्यकतानुसार, ढेर लगायेतत्पश्चात 6वे, 10वे, 13वे, 16वे, 22 वे, 59 वे, एवं 28वे दिन पहली से अन्तिम पल्टाई करें। जिप्सम को तीसरी पल्टाई के समय मिलायें। अब 28वे दिन खाद की गुणवत्ता की जाँच करे। जांच में निम्नलिखित बातो का ध्यान रखे:-
- खाद में कोई गन्ध (अमोनिया की) नही आना चाहिए
- खाद का रंग सुनहले रंग का होना चाहिए
- पी0एच0 (अम्लता एवं झारीयता) 6.5-7.5 तक होना चाहिए।
- नमी की जाँच हेतु एक मुट्ठी में खाद को लेकर दबाने से ढ़ेला बने परन्तु हल्का सा झटका देने पर कम्पोस्ट फैल जाये
- उपरोक्त जाँच करने के पश्चात बुवाई करें
बीज की बुवाई (स्पानिंग) करना
तैयार कम्पोस्ट में बीज को अच्छी तरह मिलाते है 100 कि0 ग्रा0 कम्पोस्ट में 500 से 750 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। अतः पूरे खाद में बीज मिलाने के पश्चात खाद 40 x 30 से0मी0 आकार के प्लास्टिक थैले में भरे या वाँस आदि से बने रैक पर रखे और उसे उपचारित अखवार से ढ़ककर जल का छिड़काव अखवार पर करके आवश्यक नमी बनाये रखे। जल का छिड़काव दिन में दो बार करने से खाद में आवश्यक नमी बनी रहती है। इस प्रकार 20-25 दिन में पूरे खाद में सफेद कवक जाल फैल जाता है तब केसिंग करते है।
केसिंग (मृदा आवरण चढ़ाना) करना
दो वर्ष पुरानी अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद केसिंग के लिये उत्तम पाया गया है। अतः खाद को तोड़कर कंकड़ अथवा घास-पात या अन्य चीजो को चुनकर हटा देंइसके पश्चात स्वच्छ फर्श पर फैलाकर 4 प्रतिशत फर्मल्डिहाइड, 0.2 प्रतिशत इण्डोसल्फान एवं 0.1 प्रतिशत कार्वेन्डाजिम का घोल इस खाद पर छिड़ककर खूव मिलाये। उचित नमी होने पर जूट के बोरे से ढंके। इस प्रकार 10 दिन तक रखने पर केसिंग मृदा उपचारित हो जाती है तब इसे प्रयोग में लायेअब बिजाई युक्त थैला या ट्रे में जिसमें कवक जाल पूरी तरह से फैल गया है उस पर 2.5 से 3 से0मी0 मोटा केसिंग करें। बराबर नमी बनाये रखने के लिये जल का छिड़काव केसिंग पर करे एवं उत्पादन गृह में बराबर नमी बनाये रखने के लिये दिवाल पर चारो तरफ जूट के बोरे को टांगे एवं उसे भीगाकर रखे।
मशरूम की फसल की देखभाल
10-12 दिन तक इसी तापक्रम पर थैला रखे ताकि कवक जाल केसिंग मृदा मे फैल जाये। अब इस कमरे का तापक्रम समान्य से कम पानी, 15-20 डिग्री के बीच रखे तो 5-7 दिन में मशरूम निकलना प्रारम्भ हो जाता है, और 2-5 दिन मे तोड़ने योग हो जाता हैआवश्यक नमी बनाये रखने के लिये जल का हल्का छिड़काव दिन में दो बार करते रहे।
फसल की तुड़ाई एवं बिक्री
टोपी खुलने के पूर्व (निश्चित आकार का) हाथ की तीन ऊगलियों की मदद से तोड़कर इसे एकत्रित करके सफाई करके बाजार में भेजे। फसल की तुड़ाई 6-8 बार तक 10 से 12 सप्ताह में किया जा सकता हैअच्छी फसल एवं अधिक मुनाफा के लिये सितम्बर माह तक खाद बनाये
अक्टूवर के प्रथम सप्ताह तक बुवाई करे एवं नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक केसिंग कर ले ताकि नवम्बर के अन्तिम सप्ताह से फरवरी/मार्च तक फसल प्राप्त हो सके।
फसल तोड़ने के पश्चात अच्छी तरह सफाई करने के पश्चात प्रयोग में लायें या बिक्री करें।
आवश्यक सावधानियाँ
फसल तोड़ने के पश्चात बने घाव (गड्ढे) को केसिंग से भर दे तथा पानी का हल्का छिडकाव करे। टोपी करे। लम्बी अवधि के खाद के प्रयोग से प्रति क्विंटल खाद से 18 से 20 किलोग्राम उपज प्राप्त होती है
उत्पादन खर्च – रू0 45/ किलोग्राम
बिक्री दर रू0 100/ किलोग्राम
ये भी देखें:
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