समग्र गव्य विकास योजना बिहार

समग्र गव्य विकास योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़, ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार का सृजन तथा प्रत्येक व्यक्ति को न्यूनतम पौष्टिक आहार के रूप में दूध एवं दूध जन्य उत्पाद की उपलब्धता को पूरा करना है ताकि राज्य दुग्ध उत्पादन के क्षेत्रा में आत्मनिर्भर हो सके। राज्य सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2014-15 में कुल 66.49116 करोड़ (रूपये छियासठ करोड़ उनचास लाख ग्यारह हजार छः सौ) मात्रा की लागत पर समग्र गव्य विकास योजना की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस योजना के अन्तर्गत राज्य के सभी वर्गों के कृषकों/बेरोजगार युवक-युवतियों को 50ः अनुदान पर दुधारू मवेशी की (2, 5, 10 एवं 20) डेयरी इकाई स्थापित किये जा रहे हैं।

समग्र गव्य विकास योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के सभी वर्गों के कृषकों/दुग्ध उत्पादकों/शिक्षित युवक-युवतियों के लिए स्व-रोजगार के अवसर और आधारभूत संरचना उत्पन्न कर उनके आय में अभिवृद्धि करना है।

व्यापारिक स्तर पर दूध को संचालित करने के लिए पारंपरिक प्रौद्योगिकी को अद्यतन करना और दुग्ध उत्पादों के उत्पादन और प्रसंस्करण द्वारा दूध का मूल्य सवंर्धित कर गव्य प्रक्षेत्र में संरचनात्मक परिवर्त्तन लाना है।

समग्र गव्य विकास योजना बिहार
समग्र गव्य विकास योजना बिहार

राज्य के सभी वर्गों के भूमिहीन/कृषकों/लघु कृषक/सीमांत कृषक/गरीबी रेखा से नीचे बसर करने वाले कृषक/दुग्ध उत्पादकों/शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों द्वारा उन्नत नस्ल के 2, 4 एवं 10 दुधारू मवेशी की डेयरी इकाई तथा मिल्कींग मशीन एवं देशी दुग्ध उत्पाद के निर्माण हेतु दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र यथा पनीर, खोआ एवं घी संयंत्र स्थापित कर इनकी आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति सुदृढ़ करना है, जो कि राज्य के नागरिकों के न्यूनतम पौष्टिक आवश्यकता की पूर्त्ति में सहायक सिद्ध होगी।

यह योजना बिहार के सभी जिले में लागू है।

लाभान्वित होने के लिए योग्यता
राज्य के सभी वर्गों के भूमिहीन/कृषकों/लघु कृषक/सीमांत कृषक/गरीबी रेखा से नीचे बसर करने वाले कृषक/शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों को शामिल किया जायेगा।

समग्र गव्य विकास योजना का क्रियान्वयन

  • समग्र गव्य विकास योजना का क्रियान्वयन राज्य के सभी जिलों में जिला गव्य विकास पदाधिकारी द्वारा किया जायेगा। इच्छुक आवेदकों द्वारा दुधारू मवेशी डेयरी इकाई की स्थापना/दुग्ध संयंत्र इकाई की स्थापना हेतु अपना आवेदन संबंधित जिला के जिला गव्य विकास कार्यालय में समर्पित करेंगे।
  • जिला गव्य विकास पदाधिकारी द्वारा प्राप्त आवेदन पत्रों का स्क्रीनिंग जिला के जिला अग्रणी बैंक पदाधिकारी के अध्यक्षता में गठित त्रिसदस्यीय स्क्रीनिंग समिति द्वारा किया जायेगा, जिसमें जिला के जिला गव्य विकास पदाधिकारी सदस्य सचिव होंगे तथा जिला मत्स्य पदाधिकारी एवं उद्योग विभाग के जिला स्तरीय पदाधिकारी सदस्य होंगे।
  • गठित स्क्रीनिंग समिति की बैठक जिला स्तर पर प्रत्येक माह के 15वीं तारीख को आयोजित की जायेगी, जिसमें क्रियान्वयन एजेन्सियों से प्राप्त आवेदनों की समीक्षा/जाँच आवेदक की उपस्थिति में किया जायेगा। आवेदक के साक्षात्कार के पश्चात ऋण स्वीकृति के संबंध में गठित समिति द्वारा निर्णय लिया जायेगा एवं योग्य ऋण आवेदनों को अनुशंसा के साथ संबंधित बैंक (राष्ट्रीयकृत एवं ग्रामीण) को ऋण स्वीकृति हेतु अग्रसारित किया जायेगा। ऋण स्वीकृत करने वाले बैंक का यह दायित्व होगा कि अनुशंसित आवेदनों पर एक माह के अन्दर निर्णय लेते हुए आवेदक एवं संबंधित जिला के अग्रणी बैंक तथा जिला गव्य विकास कार्यालय को सूची के साथ सूचना उपलब्ध करायेंगे।
  • बैंक द्वारा ऋण स्वीकृत किये जाने के उपरान्त दुधारू मवेशियों का क्रय क्रय-समिति के समक्ष राज्य के अंदर पशु हाटों एवं मेलों में किया जाएगा। मिल्कींग मशीन एवं देशी दुग्ध उत्पाद के निर्माण हेतु दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र का क्रय मान्यता प्राप्त पंजीकृत निर्माता या आपूर्तिकर्ता से क्रय समिति की देख रेख में उच्च गुणवत्ता का न्यूनतम दर पर किया जाएगा। क्रय के साथ लाभूक एवं क्रय समिति के सदस्यों का संयुक्त फोटोग्राफी होना अनिवार्य होगा।
  • मवेशियों का क्रय क्रय समिति के समक्ष किया जायेगा। क्रय समिति में संबंधित बैंक के प्रबंधक या उनके प्रतिनिधि, जिला गव्य विकास पदाधिकारी या उनके प्रतिनिधि, पशु चिकित्सक एवं बीमा पदाधिकारी या उनके प्रतिनिधि होंगे। बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि को क्रय स्थल पर ले जाने की जिम्मेदारी बैंक की होगी एवं पशु चिकित्सक को स्थल पर ले जाने की जिम्मेदारी संबंधित जिला के जिला गव्य विकास पदाधिकारी की होगी।
  • समग्र गव्य विकास योजना  अन्तर्गत किसी भी इकाई की स्थापना अथवा क्रय परियोजना अन्तर्गत निर्धारित लागत व्यय से अधिक होने पर भी सब्सिडी का भुगतान परियोजना शर्त्त के आधार पर ही किया जायेगा। अतिरिक्त व्यय होने वाली राशि लाभूकों को स्वयं वहन करना होगा। लाभूको द्वारा किसी भी इकाई की स्थापना या क्रय परियोजना अन्तर्गत आंशिक रूप में किये जाने कि स्थिति में सब्सिडी का भुगतान अनुपातिक रूप से किया जायेगा। साथ ही सब्सिडी का वितरण Back ended किया जायेगा।
  • बैंक द्वारा दुधारू मवेशी क्रय के पश्चात सामान्य जाति के लाभूकों को 50ः तथा अनुसूचित जाति/जनजाति के लाभूकों को 66.66ः अनुदान की राशि विमुक्त करने हेतु दावा विपत्र आवेदक के ऋण खाता संख्या एवं उसके खाते में क्पेइनतेम की गयी राशि अंकित करते हुए संबंधित जिला के जिला गव्य विकास पदाधिकारी को उपलब्ध करायेंगे। संबंधित जिले के जिला गव्य विकास पदाधिकारी जाँचोपरान्त प्रमाण पत्र अंकित करते हुए संबंधित बैंक को अपनी अनुशंसा के साथ अनुदान विमुक्त करने की कार्रवाई की जायेगी।
  • ऐसे दावा विपत्र मान्य नहीं होंगे, जिसमें पशु क्रय प्रतिवेदन में क्रय समिति के सभी सदस्यों का हस्ताक्षर न हों।
  • लाभूक से इस आशय का शपथ पत्र लिया जायेगा कि डेयरी इकाई के स्थापना से प्राप्त परिसम्पति का संवर्द्धन कम से कम अगले तीन वर्षों तक करेंगे। तीन वर्ष के पूर्व परिसम्पति के हस्तान्तरण किये जाने पर संगत प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जायेगी।
  • इस योजना के तहत निर्धारित सब्सिडी लाभूकों को दोनों स्थिति में देय होगा। यदि लाभूक बैंक से ऋण ले अथवा स्वयं वहन करे। निर्धारित लक्ष्य का कम से कम 50ः बैंक द्वारा वित्त सम्पोषण के अन्तर्गत क्रियान्वित किया जायेगा। स्वलागत से डेयरी इकाई की स्थापना करने वाले लाभूकों को योजना लागत की पूर्ण राशि उपलब्ध होने संबंधी प्रमाण संबंधित जिला गव्य विकास पदाधिकारी के कार्यालय में समर्पित करना होगा। योजना के क्रियान्वयन (Asset Creation) के पश्चात ही सब्सिडी की राशि का भुगतान किया जायेगा।
  • मिल्कींग मशीन/देशी दुग्ध उत्पादों के निर्माण के लिए डेयरी प्रसंस्करण उपकरण वैसे लाभूकों को भी देय होगा जो पूर्व से डेयरी इकाई की स्थापना कर रखी हो।
  • समग्र गव्य विकास योजना के तहत लाभूकों के चयन में प्रशिक्षित आवेदकों/दुग्ध सहकारिता समिति से जुड़े सदस्यों/शराब बंदी से प्रभावित व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जायेगी।
  • इस समग्र गव्य विकास योजना अन्तर्गत चयनित लाभूकों को चारा की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु अपनी जमीन या लीज की जमीन से सम्बन्धित कागजात भी समर्पित करना होगा।
  • डेयरी इकाई/डेयरी संयंत्र इकाई की स्थापना के लिए निर्धारित लक्ष्य के पूर्ण हो जाने के उपरान्त न तो डेयरी इकाई/डेयरी संयंत्र इकाई स्थापित की जायेगी और न ही लाभूकों/ बैंक द्वारा अनुदान का दावा मान्य होगा। लाभूकों को सब्सिडी का लाभ पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर प्रदान किया जायेगा।

अधिक जानकारी के लिए बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के वेबसाइट को देखे
http://ahd.bih.nic.in/

बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा जारी परियोजना प्रतिवेदन डाउनलोड करें

बिहार से संबन्धित सामान्य ज्ञान के प्रश्न हिन्दी में

ये भी देखें:
लीची की खेती
गेहूं की खेती कैसे करें
कैसे करें पपीता की खेती
मूंगफली की खेती कैसे करे
सहजन की खेती कैसे करे
मशरूम की खेती कैसे करें
कैसे करें नींबू की खेती | लेमन व लाइम

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top