प्याज की खेती

प्याज की खेती: किसी भी सब्जी के वैज्ञानिक तरीके से उत्पादन में उसके प्रभेदों का अधिक महत्व है तथा हमारी मिट्टी के लिये कौन-सा अनुशंसित प्रभेद हैं इसका ध्यान रखना अधिक आवश्यक है। कुछ अनुशंसित प्रभेदों के नाम नीचे दिये जा रहे हैं। ये अधिक उपज देते हैं साथ ही साथ यहाँ की जलवायु के लिये पूर्णतया उपयुक्त है।

प्रभेदों के नाम विशेषताएँ
पूसा रेड लाल रंग, गोल, उपज 20-30 टन/हे०, भंडारण में विशेष अच्छा तथा कहीं भी अपने को समायोजित करने की क्षमता।
पूसा रत्नार गहरा लाल प्रभेद, गोलाकार बड़ा, 30-40 टन/हे. उपज क्षमता।
पूसा माधवी हल्के लाल रंग, अच्छा भंडारण क्षमता, 30-35 टन/हे० उपज क्षमता।
पंजाब सेलेक्शन हल्का लाल, उपज क्षमता 20 टन/हे।
एन-53 गहरा लाल, उपज क्षमता 15-20 टन/हे०, खरीफ फसल के लिए उपयुक्त।
अरका निकेतन हल्का लाल, उपज क्षमता 33 टन/हे०, भण्डारण के लिए उपयुक्त।
अरका कल्याण गहरा लाल, उपज क्षमता 33 टन/हे०, भण्डारण के लिए उपयक्त।
अरका बिन्दु चमकीला गहरा लाल, 100 दिनों में तैयार, 25 टन/हे० निर्यात के लिए उपयुक्त।
बसवन्त 780 चमकीला लाल।
एग्री राउड लाइट रेड हल्का लाल, भंडारण में अच्छा, उपज क्षमता 30 टन/हे०।
पंजाब रेड राउंड लाल, उपज क्षमता 30 टन/हे०।
कल्याणपुर रेड राउंड गहरा लाल, गोल, उपज क्षमता 30 टन/हे०।
हिसार-II हल्का लाल, उपज क्षमता 20 टन/हे०।

उजला प्रभेदों के नाम : पूसा हवाइट फ्रलाइट उपज क्षमता 30-35 टन/हे० भंडारण के लिए उपयुक्त, सगा प्याज के लिए उपयुक्त।
एन 257-9-1, गोलाकार चिपटा, उपज 25-30 टन/हे.

पीले रंग का प्रभेद :
अर्ली ग्रानो – बड़ा कन्द, सलाद के लिए उपयुक्त, उपज क्षमता 50-60 टन/हे०
ब्राउफन स्पेनिश – उपज क्षमता 20-25 टन/हे.

प्याज की खेती के लिए खेत का चयन

प्याज की बागवानी हेतु भूमि का चयन भी आवश्यक है क्योंकि कन्द का विकास भूमि की संरचना पर भी निर्भर करती है। जीवांशयुक्त हल्की दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है। अधिक अम्लीय मिट्टी सर्वथा अनुपयुक्त है। जमीन की जुताई अच्छी के साथ-साथ खाद एवं उर्वरक जुताई के समय डालकर अच्छी तरह मिला दिया जाय। मिलाने के बाद पाटा देना चाहिये। इससे खेत की नमी सुरक्षित रहती है तथा खाद को मिट्टी में मिलाने में आसानी होती है। भूमि की तैयारी के साथ पौधशाला की भी तैयारी उतनी ही आवश्यक है। पौधशाला की तैयारी में खास ध्यान देकर उसे खरपतवार से मुक्त कर मिट्टी को भुर-भुरी बनायेपौधशाला में जल जमाव नहीं हो इसका विशेष ध्यान दें। पौधशाला को छोटी क्यारियों में बाँट दें। पौधशाला अपनी आवश्यकता अनुसार बनावें। साधारणतया एक हेक्टेयर प्याज की खेती हेतु 1/12 हे० में बीज लगाते हैं। पौधशाला में बीज गिराने के बाद उसे पुआल आदि से ढंक देते हैं। बीचड़े को 4.5 सेमी के होने के बाद, डायथेन एम-45 का छिड़काव किया जाय ताकि सड़ने गलने से बच सके।

बीज की मात्रा : बीज की गुणवत्ता के आधार पर ही इसकी मात्रा निर्भर करती है। (क) बीज स्वस्थ हों (ख) बीज की अंकुरण क्षमता प्रमाणित हो। (ग) बीज हमेशा नामांकित जगहों से प्राप्त करें।

एक हेक्टेयर प्याज लगाने के लिये 10-12 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

प्याज की बुआई तीन प्रकार से की जाती है :
(क) सीधे बीज डालकर : इसे बलुआही मिट्टी में उपयोग करते हैं। इस विधि में मिट्टी को अच्छे ढंग से तैयार कर बीज खेत में छोड़ देते हैंइस विधि में बीज की मात्रा 7-8 कि० प्रति हे लगते हैं।

(ख) गांठों से प्याज लगाना : छोटे प्याज के गांठों को अप्रैल-मई में लगायी जाती है। प्याज की 12-14 क्विं० प्रति हे. गांठ लगते हैं।

(ग) बीज से पौध तैयार कर खेत में लगाना : यह प्रचलित विधि है जिसके द्वारा प्याज की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।

बुआई का समय
पौधशाला में बोआई : अक्टूबर-नवम्बर
खेत में रोपाई : दिसम्बर-जनवरी

खाद एवं उवर्रक की मात्रा : कम्पोस्ट 10 टन, 150 किलोग्राम नेत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस एवं 100 कि० पोटाश प्रति हे० देने की अनुशंसा की गयी है।

नेत्रजन का प्रयोग तीन बार करें और वह भी सिंचाई के बाद। स्फूर एवं पोटाश की पूरी मात्रा खेत तैयारी के समय ही दी जाय।

बरसाती प्याज की खेती
बरसाती प्याज के लिए अनुशंसित प्रभेदों में एन०-53 की खेती ज्यादा हो रही है। इसकी अच्छी पैदावार के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है। नेफेड के द्वारा सेट उगाकर लगाने की तकनीक भी विकसित की गयी है जो लाभकारी है।

बीज बोने का समय – मई के अन्तिम सप्ताह से जून तक
प्रतिरोपण – अगस्त
लगाने का समय – दिसम्बर-जनवरी

अन्य प्रभेद जिसकी खेती बरसाती प्याज के रूप में की जाती है- एग्रीफाउड डार्करेड, बसवन्त 780, अरका कल्याण, उपज 1920 टन/ हे०।

बरसाती प्याज के लिए सेट तैयार करना : दिसम्बर जनवरी के माह में प्याज के बिचड़ों में छोटा गाँठ बाँधने पर पौधशाला से ही उखाड़ लिये जाते हैं। इन्हें गुच्छों में बाँधकर रख देते हैं। रखने से पहले इसे धूप में सूखाते भी हैं। इन सेटों का प्रतिरोपण अगस्त माह में करते हैं। इनकी गाँठ 2 से 2.5 से० आकार की अधिक उपयुक्त है। 25 ग्राम बीज प्रतिवर्ग मी० में बोआई करें। 12-15 क्विं० सेट्स/हे० के लिए आवश्यक है।

सागा प्याज उगाने की तकनीक : सागा प्याज में पूरी गाँठ बनने से पहले पौधा सहित उखाड़ना ही सागा प्याज की खेती में व्यवहार करते हैं। सागा प्याज की खपत है, प्याज की तैयार फसल की तरह करते हैं।

प्रयोग के आधार पर सागा प्याज की खेती के लिये अर्ली ग्रानो, पूसा ह्वाइट पलैट तथा पूसा हवाइट राउफंड उपयुक्त पाये गये हैं।

निकाई गुड़ाई एवं सिंचाई
प्याज एक ऐसी फसल है जिसमें बिचड़े की रोपनी के बाद यानि जब पौधे स्थिर हो जाते हैं तब इसमें निकौनी एवं सिंचाई की आवश्यकता पड़ती रहती है। इस फसल में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसकी जड़ें 15-20 सेंमी० सतह पर फैलती है।

1. इसमें पाँच दिनों के अन्तराल पर सिंचाई चाहिये
2. इस फसल में 12-14 सिंचाई देना चाहिये।
3. अधिक गहरी सिंचाई हानिकारक है।
4. पानी की कमी से खेतों में दरार न बन पाये।

आरम्भ में 10-12 दिनों के अन्तर पर सिंचाई करें। पुनः गर्मी आने पर 5-7 दिनों पर सिंचाई करनी चाहिये।

हर दो-तीन सिंचाई के साथ घास-पात की निकासी आवश्यक है। इससे पौधों को उचित मात्रा में पोषक तत्व एवं प्रकाश मिलता रहता है।

खर-पतवार के नियंत्राण के लिए खर-पतवारनाशी टोक-ई-25 का छिड़काव 5 ली० प्रति हे० की दर से करना चाहिये।

फसल चक्र :

प्रथम वर्ष द्वितीय वर्ष  तृतीय वर्ष
आलू (अगात) आलू (मध्य) प्याज
फूलगोभी (अगात) आलू प्याज
धान प्याज प्याज
 आलू (अगात) फूलगोभी (मध्य) प्याज

फसल की कटाई : जब पौधों के तने सूखने लगे और सूखकर तना पीछे मुड़ने लगे तब प्याज के कन्दों को खुरपी के सहारे उखाड़ लिया जाय। गाँठ सहित पौधों को तीन-चार सप्ताह तक छाया में अवश्य सूखा लें।

बीजोत्पादन : जमीन की तैयारी पूर्व की तरह ही करें। बीज का उत्पादन (क) कन्द से बीज (ख) बीज से बीज प्याज के कन्द से ही बीज उत्पादन होता है। प्याज पर परागित पौधा है अतः एक ही किस्म के बीज एक जगह लगते हैं और दो किस्मों के बीच पर्याप्त दूरी छोड़ते हैं (कम से कम 700 मीटर) कन्द लगाने का समय अक्टूबर है। फूल जनवरी में लगते हैं। समय-समय पर परागण हेतु प्याज के फल लगे डंठलों को हिलाना आवश्यक होता है, ताकि पूर्ण परागण हो सके।

(ख) पुराने एवं स्वस्थ गांठों को जमीन में रोपते हैं इन गाँठों से बीज के बाल निकलते हैं। फूल लगते हैं। फूल के गुच्छे जब सूख जाते हैं तो इसे झाड़कर बीज प्राप्त करते हैं।

भंडारण : सूखे कन्दों को हल्की मिट्टी के ऊपर फैलाकर रखते हैं। इसे अंकुरण से बचाने के लिये मैलिक हाइड्राजाइड नामक रासायनिक दवा का (1000 से 1500 पी०पी०एम०) छिड़काव कर देते हैं।

प्याज के प्रमुख कीट एवं रोग तथा प्रबंधन

थिप्स Thrips tabacci
यह पीले-भूरे रंग का बेलनाकर कीट होता है। यह पत्तियों को खुरचकर पत्तियों का रस चूसता है। खुरचने से पत्तियों पर उजला दाग बन जाता है साथ ही पत्तियां सूखकर नीचे की तरफ ऐंठ जाती है। तीव्र आक्रमण की स्थिति में फसल झुलस जाती है तथा कन्द छोटे रह जाते हैं।
प्रबन्धन
1. प्रति हेक्टेयर 20 पीला चिपकने वाला फंदा का इस्तेमाल करना लाभप्रद है।
2. लेडीबर्ड विटिल, मकड़ी, रोव विटिल, ग्राउण्ड विटिल, सिरफीड फ्लाई जैसे मित्र कीटों का संरक्षण करें।
3. इमिडाक्लोप्रीड 17.8 एस0एल0 का 1 मिलीलीटर अथवा डायमेथाऐट 30 ई0सी0 का 2 मिलीलीटर प्रति 3 लीटर पानी में घोल बनाकर छड़काव करें। घोल में स्टीकर अवश्य मिलायें।

उखड़ा रोग | Wilt | Alternaria sp.

इस रोग में पहले छोटा सफेद अनियमित आकार का धब्बा बनता है, जो बाद में बड़ा और बैगनी हो जाता है। दाग के ऊपर पत्ते का भाग पीला पड़कर सूखने लगता है, फलतः फसल को काफी क्षति होती है।

प्रबन्धन

1. संतुलित मात्रा में उर्वरक का व्यवहार करें
2. फसल को खर-पतवार से मुक्त रखें।
3. कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 घुलनशील चूर्ण का 3 ग्राम या मैन्कोजेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। घोल में स्टीकर अवश्य मिलायें।

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