देशी गाय की प्रमुख नस्लें

प्राचीन काल से ही पशुपालन खासकर देशी गाय / भैंस पालन हमारे जीवन का एक अटूट हिस्सा रहा है। बिहार राज्य गाय की संख्या में भारत में पाँचवा तथा भैंस की संख्या में छठा स्थान रखता है (पशुगणना 2007 के अनुसार) तथा ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 80 प्रतिशत लोग गो/भैंस पालन से जुड़े है। फिर भी दूध उत्पादन में हमारा राज्य देश में नवें स्थान पर है तथा प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 184 ग्राम है, जो न्यूनतम मानदंड (300 ग्राम/व्यक्ति) से काफी कम हैं। मानक प्रबन्धन व्यवस्था की उचित जानकारी न होने के कारण पशुपालकों को इस व्यवसाय से अपेक्षित लाभ नहीं प्राप्त हो रहा है।

बढ़ती बेरोजगारी, घटती कृषि योग्य भूमि तथा कृषि कार्यो पर समय-समय पर मौसम की प्रतिकूलता के दुष्प्रभाव के चलते एकमात्र पशुपालन ही समावेशित विकास को दिशा दे सकता है।

देशी गाय की प्रमुख नस्लें
देशी गाय की प्रमुख नस्लें

उचित नस्ल का चुनाव, आहार प्रबन्धन, महत्वपूर्ण रोगों के विरूद्ध टीकाकरण की जानकारी, कृमिनाशक का ससमय प्रयोग एवं गर्भाधान संबंधी समस्या के उचित निदान से इस व्यवस्था से आर्थिक प्रगति हो सकती है। कई बार अज्ञानतावश पशुपालक अवैज्ञानिक तथा हानिकारक पद्धति अपनाते हैं जैसे दूध निकालने के लिए ऑक्सीटोसीन का प्रयोग करना जो पशु स्वास्थ्य खास कर प्रजनन पर बुरा प्रभाव तो डालता ही है, साथ-साथ मानव स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है।

देशी गाय की प्रमुख नस्लें

साहीवाल

प्राप्ति स्थान :- पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान एवं आंशिक रूप से बिहार में पायी जाती है। शारीरिक लक्षण :- इसका सिर लम्बा एवं लम्बाई में मध्यम, सींग छोटे एवं मोटे, रंग लाल या हल्के लाल रंग, बैल सुस्त एवं गाय सीधी-साधी टाँगों वाली छोटे आकर के होते हैं। औसतन प्रति व्यांत दूध उत्पादन की क्षमता 1134-3175 लीटर है।

थारपारकर

प्राप्ति स्थान :- यह नस्ल सिन्ध, कच्छ एवं माड़वाड़ आदि क्षेत्रों में पायी जाती है। शारीरिक लक्षण :- इसका चेहरा लम्बा, सिर चौड़ा, सींग मध्यम, हम्प अच्छा होता है तथा पूँछ लम्बी होती है। औसतन प्रति व्यांत दूध उत्पादन की क्षमता 680-2268 लीटर है।

रेड सिन्धी

प्राप्ति स्थान :- मुख्य रूप से सिन्ध प्रान्त में। शारीरिक लक्षण :- शरीर मध्यम आकार का, रंग गहरा लाल या डार्क ब्राउन, कभी-कभी माथे पर सफेद धब्बे तथा गलकम्बल और पेट के नीचे भी सफेद धब्बे मिल सकते है, मध्यम आकार के लटकते हुए कान एवं छोटे मजबूत सींग, लटकता हुआ गलकम्बल एवं विकसित शीथ।औसतन प्रति व्यांत दूध उत्पादन की क्षमता 683-2268 लीटर है।

गिर

प्राप्ति स्थान :- काठियावाड़ के गिर जंगलों में।शारीरिक लक्षण :- शरीर बड़ा भारी भरकम, रंग लाल/लाल काले धब्बे/लाल सफेद धब्बों से युक्त, सिर लम्बा, कान लम्बे लटके हुए मुड़ी हुई पत्तियों के समान, पूर्छ काली गुच्छेवाली जमीन तक लटकती हुई, हम्प बड़े आकार का, गलकम्बल हल्का पर शीथ बड़ा और लटका हुआ, सींग मुड़ा हुआ। औसतन प्रति व्यांत दूध उत्पादन की क्षमता 1225-2268 लीटर है।

हरियाणा

प्राप्ति स्थान :- हरियाणा एवं दिल्ली राज्य के आस-पास में यह नस्ल पाया जाता हैशारीरिक लक्षण :- इस नस्ल का आकार लम्बा, सकरा चेहरा, पोल के बीच उभार, त्वचा पतली एवं मुलायम, रंग सफेद एवं पूँछ लम्बी होती है। यह नस्ल कृषि एवं भारवाहक के लिए उपयुक्त है। औसतन प्रति व्यांत दूध उत्पादन की क्षमता 635-1497 लीटर है।

शाहाबादी/गंगातीरी

प्राप्ति स्थान :- बिहार के सारण जिले तथा उत्तर प्रदेश के बलिया में पायी जाती है। शारीरिक लक्षण :- शरीर मध्यम आकार का, गहरे भूरे सफेद रंग का, सींग छोटे एवं मोटे तथा बड़ा हम्प। औसतन प्रतिदिन दूध उत्पादन 4.5 लीटर है।

प्राप्ति स्थान :- बिहार के सीतामढ़ी जिले में पायी जाती है। शारीरिक लक्षण :- शरीर गठिला एवं पीठ सीधी, गर्दन छोटी, कंधा मॉसल, ललाट चौड़ा, चिपटा एवं थोड़ा उत्तल, ऑखें बड़ी एवं स्पष्ट, सींग मध्यम आकार के, कान मध्यम एवं नीचे की तरफ गिरे हुए, पूँछ छोटी एवं मोटी, रंग भूरा/भूरा सफेद होता हैं। यह भारवाही किस्म की गो जाति है अर्थात् इसके बैल अच्छे होते हैं। दुग्ध उत्पादन के लिए यह जाति उपयुक्त नहीं है।

देशी गाय की प्रमुख नस्लों कि तस्वीरें

बिहार से संबन्धित सामान्य ज्ञान के प्रश्न हिन्दी में

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