जैश ए मुहम्मद का मौलाना मसूद अजहर

बात 11 फरवरी 1994 की है । मौलाना मसूद अजहर काजीकुण्ड से एक सभा करके आ रहा था । सुरक्षा एजेंसियों की उस पर नजर पड़ी । उन्हें वह कुछ डरा डरा सहमा सहमा सहमा सा नजर आया । उसे गिरफ्तार कर लिया गया । उसे कश्मीर के एक जेल में 39 कैदियों के साथ रखा गया । मौलाना मसूद अजहर उस समय हरकत उल अंसार संगठन में था । मौलाना को छुड़ाने के लिए हरकत उल अंसार के आतंकवादियों ने जमीन आसमान एक कर दिया । इन आतंकवादियों ने भारत घूमने आए छः विदेशियों को बंधक बना लिया । इनमें से एक नार्वे का , दो अमेरिकी , एक जर्मनी और दो ब्रिटेन के थे । इनमें से नार्वे के पर्यटक का गला काट कर हत्या कर दी गयी , एक अमेरिकी पर्यटक भाग निकला और चार का आज तक कुछ भी पता नहीं चला ।

मौलाना मसूद अजहर
मौलाना मसूद अजहर

इतना होने पर सुरक्षा एजेंसियाँ हरकत में आ गयीं । उनको पता नहीं था कि उन्होंने किसे पकड़ रखा है । मौलाना मसूद अजहर की जनम पत्री खोली गयी । सुरक्षा एजेंसियाँ भौचक्की रह गयीं । जिसे वे एक मामूली आतंकवादी समझ रही थीं , वही मौलाना मौसूद अजहर एक खूंखार आतंकी निकला । आनन फानन में उसे जम्मू के जेल में शिफ्ट किया गया । यहां भी मौलाना मसूद अजहर के साथियों ने प्रयास जारी रखा । आतंकवादियों में एक दिन भयंकर लड़ाई हुई । इस का फायदा उठाकर दुर्दांत आतंकवादी भागने लगे । सुरक्षाकर्मियों ने भी मोर्चा सम्भाल लिया । सुरक्षाकर्मियों के फायर में दुर्दांत आतंकवादी सज्जाद अफगानी मारा गया । वह हरकत उल अंसार का चीफ था । इस पूरे प्रकरण का मास्टर माइंड मौलाना मसूद अजहर था ।

अब हरकत उल अंसार को लगने लगा कि मौलाना मसूद अजहर का इनकाउंटर कर दिया जाएगा । इसलिए वे जल्द से जल्द उसे छुड़ाना चाह रहे थे । अपने कैद के 20 माह पूरे होने पर मौलाना मसूद अजहर ने एक चिठ्ठी मीडिया को भेजी थी – जब अल्लाह चाहेगा तब भारत के जेल से मेरी रिहाई हो जाएगी । अल्लाह ने अब तक नहीं चाहा था । 24 दिसम्बर 1999 को आई सी 814 हवाई जहाज का अपहरण कर लिया गया । ईंधन भरवाने के लिए उसे अमृतसर उतारना पड़ा । एस पी जी अमृतसर पहुंच चुकी थी । तय हुआ था कि ईंधन भरने के बहाने हवाई जहाज के टायरों की हवा निकाल दी जाएगी ।परिणामतः यह आगे की उड़ान नहीं भर पाएगा । पर हमारे नीति नियंताओं ने उस हवाई जहाज को जाने दिया । उस जहाज को लाहौर से दुबई और फिर कांधार ले जाया गया । मजबूर हो मौलाना मसूद अजहर को हमें छोड़ना पड़ा ।

कैद से छूटने के बाद साल 2000 में मौलाना मसूद ने एक अलग आतंकवादी संगठन खड़ा किया – जैश ए मुहम्मद । इस आतंकवादी संगठन ने अक्तूबर 2001 में जे एण्ड के विधान सभा पर आक्रमण किया ।38 लोग मारे गये । दिसम्बर 2001 में उसने पार्लियामेंट पर भी हमला करवाया । 8 लोग मारे गये । उसने पाकिस्तान में भी कई जगह धमाके करवाए । बाद में उसकी पाकिस्तान सरकार से एक अलिखित समझौता हुआ था । जिसमें दोनों को एक दूसरे के काम में अड़॔गा न डालने की बात कही गयी थी ।

25 दिसम्बर 2015 को हमारे प्रधानमंत्री श्री मोदी जी पाकिस्तान के नवाज शरीफ के पास बगैर किसी सूचना के पहुँच गये थे । यह बात मौलाना मसूद अजहर को बहुत बुरी लगी । उसके 7 दिन बाद ही उसने पठान कोट एयर बेस पर हमला कर दिया । उसने 2016 में उड़ी हमला किया । अब उसने 14 फरवरी 2019 को पुलवामा कांड कर दिया है । अभी और कितने कांड मौलाना मसूद अजहर के हाथ से होने हैं ? पता नहीं । हम कितने दिनों तक इस मौलाना मसूद को छोड़ने का दंश अभी और झेलते रहेंगे ।

सर्जिकल स्ट्राइक

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