लक्ष्मी जी की आरती: लक्ष्मी जी की आरती में 16 पंक्तियां हैं।
लक्ष्मी हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। वो भगवान विष्णु की पत्नी हैं और धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। दीपावली के त्योहार में उनकी गणेश सहित पूजा की जाती है।
माना जाता है समुद्र से इनका जन्म हुआ था, और इन्होने श्री विष्णु से विवाह किया था, इनकी पूजा से धन की प्राप्ति होती है साथ ही वैभव भी मिलता है अगर लक्ष्मी रुष्ट हो जाएँ तो घोर दरिद्रता का सामना करना पड़ता है।
इस बात का ध्यान रहे कि आरती का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए। राजसिक शक्ति होने के कारण लक्ष्मी जी की आरती में मधुर स्वर उत्पन्न करने वाले वाद्य यंत्र बजाने चाहिए। इन यंत्रों को हल्के हाथ से बजाएं ताकि मधुर ध्वनि उत्पन्न हो। आरती के लिए शुद्ध कपास यानी रूई से बनी घी की बत्ती होनी चाहिए।
हिन्दी एक्स पी लेकर आया है श्री लक्ष्मी जी की आरती हिन्दी में
श्री लक्ष्मी जी की आरती
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्र्वरी |
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ॐ जय लक्ष्मी माता….
उमा रमा ब्रम्हाणी तुम जग की माता |
सूर्य चद्रंमा ध्यावत नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारुप निरंजन सुख संपत्ति दाता |
जो कोई तुमको ध्याता ऋद्धि सिद्धी धन पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी तुम ही शुभदाता |
कर्मप्रभाव प्रकाशनी भवनिधि की त्राता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो ताँहि में हैं सदगुण आता |
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता |
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता |
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई नर गाता |
उँर आंनद समाता पाप उतर जाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
स्थिर चर जगत बचावै कर्म प्रेर ल्याता |
रामप्रताप मैया जी की शुभ दृष्टि पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….