कोलोस्ट्रोल रक्त के मार्फत प्रोटीन से जुड़ा होता है । इसीलिए इस संयोजन को लिपो प्रोटीन कहते हैं । यह दो तरह का होता है –
1) LDL ( low density lipo protein ).
2) HDL ( High density lipo protein )
LDL धमनियों की दीवार में बनता है । इसकी वजह से धमनियों की दीवारें संकीर्ण हो जातीं हैं । HDL यकृत बनाता है । इसे गुड कोलेस्ट्रॉल (Good cholesterol) भी कहा जाता है । LDL को बुरा कोलोस्ट्रोल कहा जाता है । गुड कोलेस्ट्रॉल अक्सर बुरे कोलोस्ट्रोल पर नियंत्रण रखता है । वह बुरे कोलोस्ट्रोल की अतिरिक्त मात्रा को यकृत में भेजता रहता है , जहां से वह अवक्षेपित हो शरीर से बाहर निकल जाता है ।
बुरे कोलोस्ट्रोल पर नियंत्रण रखने के लिए घी तेल का सेवन कम से कम करना चाहिए । धूम्रपान और शराब से हमेशा के लिए तोबा कर लेना चाहिए । इसे एक उदाहरण से समझना बेहतर होगा । जब सौ नोट होंगे तभी तक रबर बैंड उसे सम्भाल सकता है । जब सौ से ज्यादा नोट हुए तो रबर बैंड की इलास्टिसिटी प्रभावित होने लगेगी । नोटों की संख्या और बढ़ी तो रबर बैंड टूट जाएगा । इसी तरह से बुरे कोलोस्ट्रोल की मात्रा ज्यादा होने पर एक दिन धमनियों का लचीलापन भी जवाब दे देगा और हम दिल के दौरे के शिकार हो जाएंगे ।
हम गुड कोलेस्ट्रॉल की बात करेंगे। अच्छे कोलोस्ट्रोल का स्तर 40 और 60 के बीच होना चाहिए । अच्छे कोलोस्ट्रोल की मात्रा मछली के तेल में सर्वाधिक होती है । सोयाबीन और पत्तेदार सब्जियों में भी अच्छे कोलोस्ट्रोल को बढ़ाने की क्षमता होती है । रोजाना 30 मिनट का वाॅक और एक मुट्ठी सूखे मेवे के सेवन से इसकी अच्छी खासी बढ़ोतरी होती है । सीढ़ियों के चढ़ते चढ़ते भी हम अच्छे कोलोस्ट्रोल के वांछित स्तर को पा सकते हैं ।
रेड वाइन भी अच्छे कोलोस्ट्रोल को बढ़ावा देता है, लेकिन इसे रोजाना मात्र एक गिलास हीं लें तभी यह उपयोगी होगा । एक गिलास से ज्यादा लेने पर यह नुकसान भी कर सकता है । अच्छे कोलोस्ट्रोल की अधिकता भी बुरी होती है । अति सर्वत्र वर्जयेत् । धूम्रपान अच्छे कोलोस्ट्रोल को घटाता है और बुरे कोलोस्ट्रोल को बढ़ाता है । इसलिए इसमें धूम्रपान त्याज्य है ।
चीनी का अत्यधिक सेवन मोटापा लाता है। मोटे लोगों में अच्छे कोलोस्ट्रोल की अक्सर कमी होती है । अतः जो मोटापे पर विजय प्राप्त कर लेते हैं तो उन्हें अच्छे कोलोस्ट्रोल का खजाना मिल जाता है। इसलिए आपको चीनी छोड़नी पड़ेगी। फल की मात्रा बढ़ानी होगी। फलों में बिटामिन बी से युक्त फल ज्यादा लेने होंगे । इसके अतिरिक्त आप विटामिन बी -12 या विटामिन बी काम्पलेक्स की एक टेबलेट या कैप्सूल रोजाना भी ले सकते हैं ।
बिटामिन बी अच्छे कोलोस्ट्रोल का वाहक जरूर है , पर इसकी ज्यादा मात्रा यकृत को खराब भी कर सकती है। इसलिए दवा के रुप में विटामिन बी लेने से पहले चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है । वैसे यह निर्विवाद सत्य है कि अच्छे कोलोस्ट्रोल की तयशुदा मात्रा दिल को बहुत माफिक आती है।